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Mustard Farming:- सरसों की यह किस्में कम समय में किसानों को देगी बंपर मुनाफा, जानिए कौन-कौन सी है किस्में

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Mustard Farming:- सरसों की यह किस्में कम समय में किसानों को देगी बंपर मुनाफा, जानिए कौन-कौन सी है किस्में

अगर आपने अभी तक किसी कारण से सरसों की बुवाई नहीं की है और परेशान है तो आपके लिए बड़ी खुशखबरी है, क्योंकि हम आपको एक ऐसी कम अवधि वाली सरसों की किस्म बताने वाली है, जो बहुत ही कम समय में आपको तगड़ा मुनाफा दे सकती है। यह कम अवधि वाली सरसों की किस्म कमाई के लिहाज से आपके लिए एक बेहतर विकल्प साबित हो सकती है क्योंकि इन किस्म की सबसे खास बात यह है कि यह बहुत ही कम समय में पक जाती है।

सरसों की खेती से बढ़े मुनाफा : कम सिंचाई में भी होगा तगड़ा मुनाफा।

खाद तेलों की कीमत इन दोनों आसमान छू रही है और इस स्थिति का फायदा उठाने का सबसे अच्छा मौका किसानों के पास है क्योंकि सरसों जैसी तिलहन फैसले बहुत ही कम लागत और मेहनत में अच्छा मुनाफा देती है। सरसों की खेती करना किसानों के लिए एक स्मार्ट चॉइस हो सकती है।
रवि सीजन में, सरसों की खेती करना एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है, क्योंकि बहुत ही कम सिंचाई में एक अच्छे पैदावार होती है सरसों की कुछ किस्म कम समय में पकने वाली होती है। जिससे किसान बहुत ही कम समय में बुवाई करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं यही नहीं कम अवधि वाली सरसों की किस्म जैसे पूसा तारक पूसा सरसों 28 भूसा सरसों 25 में सिर्फ जल्दी तैयार होती है, बल्कि गेहूं मटर या चावल जैसे फसलों के साथ भी इंटरक्रॉपिंग करके उगाई जा सकती है इससे किसानों को छोटी जगह में दोहरी फसल का फायदा मिल सकता है। इसके साथ ही यह फैसले 100 से 125 दिन में बनकर आमतौर पर तैयार हो जाती है।

आईए जानते हैं कम अवधि वाली सरसों की किस्में

अगर आप सरसों की फसल को जल्दी पकाकर समय पर बेचने की सोच रहे हैं, तो इन किस्मों पर जरूर ध्यान दें:

  1. पूसा सरसों 28 (NPJ-124) – मैदानी इलाकों में उगने वाली ये किस्म सिर्फ 107 दिनों में पक जाती है। इसकी विशेषता यह है कि इसमें 41.5% तक तेल की मात्रा होती है, जो इसे किसानों के लिए ज्यादा लाभदायक बनाती है।
  2. पूसा अग्रणी – इस किस्म को रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जाना जाता है। ये भी लगभग 110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और अधिक उपज देती है।
  3. पूसा तारक – ये किस्म खासतौर पर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खेती के लिए मशहूर है। इसमें 121 दिनों में फसल तैयार हो जाती है और औसतन 19.24 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिलता है। साथ ही, इसमें उच्च क्वालिटी का तेल होता है, जो स्वास्थ्य के लिहाज से भी बेहतरीन होता है
  4. पूसा सरसों 25 – यह कम अवधि वाली एक और किस्म है, जिसे ज्यादा उपज के लिए जाना जाता है। 39.6% तेल की मात्रा के साथ, इसे विशेष रूप से उत्तर भारत में काफी लोकप्रियता मिली है।

सरसों की बुवाई का सही समय और तरीका

अक्टूबर के अंत तक लंबी अवधि वाली किस्मों की बुवाई का समय होता है, जबकि कम अवधि वाली किस्मों को नवंबर-दिसंबर में भी बोया जा सकता है। बुवाई के दौरान प्रति हेक्टेयर 6 किलो बीज का उपयोग करें और पौधों के बीच 15 सेमी तथा कतारों के बीच 40 सेमी की दूरी रखें। इससे पौधों को बढ़ने का पर्याप्त स्थान मिलता है और उपज अच्छी होती है।

सिंचाई और देखभाल

सरसों की फसल में पहली सिंचाई फूल आने के समय करनी चाहिए, और दूसरी सिंचाई फलियों के बनने पर। इससे पौधे का विकास सही तरीके से होता है और अच्छी पैदावार मिलती है। साथ ही, अगर आप अगले सीजन में गन्ना या सब्जियों की खेती करना चाहते हैं, तो सरसों की कम अवधि वाली किस्में उगाकर फसल चक्र का लाभ उठा सकते हैं।

Rahul Setia
Author: Rahul Setia

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