Indian farming sector : भारत में बड़े स्तर पर खेती की जाती है और करोड़ों किसानों का जीवन खेती पर निर्भर है। खेती के माध्यम से किसान देश की करीबन जनता का पेट भरता है। परंतु फिर भी भारत में तकनीकी खेती एक छोटे स्तर पर की जाती है और खेती के कार्यों में इस्तेमाल होने वाली मशीनों का इस्तेमाल 50% से भी कम किया जाता है।
भारत में चावल, गेहूं, मक्का, ज्वार, बाजरा, तिलहन, कपास और गन्ने जैसी फसलों का बड़े स्तर पर उत्पादन किया जाता है। लेकिन बीते वर्षों में खेती करने के लिए मशीनों का इस्तेमाल करीबन 47% तक किया गया है। जो जो चीन और ब्राजील जैसे विकासशील देशों के मुकाबले में बहुत कम है।
कृषि पशुपालन और खाद्य संबंधित स्थाई समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि देश को 80% तक मशीनीकरण उपलब्ध करवाने में 25 साल का समय लग सकता है। क्योंकि भारत में दो हेक्टेयर से कम वाली जमीन के किसानों की संख्या 86% तक है। जिनके लिए मशीन खरीदना काफी मुश्किल हो जाता है।
मशीनों से बदलेगा खेती का तरीका
भारत में खेती के तरीके को बदलने और व्यापार को बढ़ाने के लिए मशीनों का इस्तेमाल बहुत जरूरी हो गया है। क्योंकि मशीन को इस्तेमाल करके किसान कम खर्चे में अधिक उत्पादन ले सकते हैं। मशीनों के माध्यम से काम करना काफी आसान और तेज हो जाता है। मशीनों का इस्तेमाल करके किसान नई-नई तकनीक का सहारा ले सकते हैं और अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बना सकते हैं।
मशीनों का लाभ
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खेती के लिए मशीनों का इस्तेमाल करने से 20% तक बीज की बचत होती है।
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वही उर्वरक में भी 15 से 20% तक बचत होती है।
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खेती-किसानी में लगने वाले समय को कम किया जा सकता है।
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बीजों के बेहतर अंकुरण में इजाफा होता है।
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खरपतवार और घांस फूस में 40% तक कमी आती है।
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खेती करने के लिए कम मजदूरी लगती है।
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फसल के उत्पादन में भी 10% तक बढ़ोतरी होती है। Indian farming sector